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सूचना का अधिकार कानून

भारत की सबसे बड़ी ताकत हमेशा से उसके अपने लोग रहे हैं। देश को ब्रह्मांड की नयी ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले हमारे प्रतिभाशाली वैज्ञानिकों से लेकर अपनी कड़ी मशक्कत के बल पर देश को लगातार आगे बढ़ाने वाले किसानों, मज़दूरों तक, हमारे लोग ही हमारी सबसे बड़ी ताकत हैं। हम सफलता के नये युग के मुहाने पर खड़े हैं और यह विशेष रूप से भारत की कार्य नीति, विपरीत हालातों से निपटने की हमारी विशेष प्रतिभा और किसी संयुक्त उद्देश्य के लिए एकजुट होने की हमारी क्षमता ही है, जो हमें महानता हासिल करने में सफलता दिलायेगी।

ये वही लोग हैं, जिनके लिये हमारी पार्टी और मैं काम करते हैं। अपनी स्थापना के बाद से ही, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का लक्ष्य-बाधाओं को दूर करके और अवसरों का सृजन करके अपनी क्षमता हासिल करने की चाह रखने वाले भारतीयों की राह को आसान बनाना है। इसी एकनिष्ठ अभियान ने हमें अपने देश के नागरिकों को अधिकारसंपन्न बनाने के लिए वर्ष 2005 में सूचना का अधिकार अधिनियम (आरटीआई) बनाने के लिए प्रेरित किया।

तेजी से सार्वभौमिक होती इस दुनिया में, ‘सूचना ही ताकत है’ की कहावत इससे पहले कभी इतनी सटीक नहीं थी। सूचना का अधिकार अधिनियम के जरिये हमारा लक्ष्य इस ताकत को उसके स्वाभाविक अधिकारियों यानी देश के नागरिकों को वापस लौटाना था। सरकारी कार्यालयों में जो सूचनाएं दबी-छुपी हुई थीं, फाइलों में गुम हो गयी थीं या भुला दी गयी थीं, वे अब किसी भी भारतीय के मांगे जाने पर आसानी से मिल सकती हैं। आम लोगों के हाथ में यह एक ऐसा हथियार है, जो यह सुनिश्चित करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है कि सिस्टम ऐसी मशीन न बन जाये, जिसमें उसकी भूमिका बेकार के पुर्जे की तरह हो। ये ऐसा हथियार है, जिसके सहारे वे सत्य के साथ खड़े हो सकते हैं। ये ऐसा हथियार है जो सभी को अपने मतदाताओं और साथी नागरिकों के प्रति ईमानदार और जवाबदेह बनाये रखने के साथ सभी की प्रगति को ऊर्जा देता है।

इस क्रांतिकारी कानून को किसी डर से नहीं लाया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस उन सिद्धांतों के कारण सूचना का अधिकार कानून पारित कराने के लिए सबसे आगे सक्रिय थी, जिनकी बुनियाद पर उसकी स्थापना की गई है तथा जिन्हें वे निरंतर बरकरार रखे हुए है। ऐसे में आलोचकों द्वारा भेद खुलने और दुरुपयोग का भय दिखाने के बावजूद हमने इस कानून का समर्थन किया, क्योंकि यह लोगों के अपरिहार्य अधिकार का प्रतिनिधित्व करता था - बस उन्हें इसके इस्तेमाल के लिये एक प्रणाली की जरुरत थी। हमने यह जानते हुए भी ऐसा किया कि इसके दायरे में हमारी अपनी सरकार और उसके सहयोगी भी आयेंगे, लेकिन कारण बहुत स्पष्ट था, क्योंकि ऐसा करना ही सही था।

हमारा लक्ष्य जिन नागरिकों की सेवा करना है, उन्होंने भी हमें निराश नहीं किया। इस कानून का इस्तेमाल कमज़ोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा करने, सरकारी कार्यालयों के कामकाज और वित्तपोषण की गहरी पड़ताल करने में किया गया है। लेकिन, कोई जानकारी हल्की नहीं है, क्योंकि इस कानून ने आम लोगों को अपने जनसेवकों को जवाबदेह होने के लिए अधिकार सम्पन्न बनाया है। इससे लोगों को सरकार से सवाल पूछने का अधिकार मिला है। कांग्रेस देश की ‘जनता द्वारा, जनता के लिए और जनता की’ भावना से काम करती है। सूचना का अधिकार कानून इसका जीता-जागता उदाहरण है, जो इस भावना को साबित करता है।

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