Democratisation of IYC

आईवाईसी/एनएसयूआई का लोकतंत्रीकरण

कांग्रेस पार्टी के पास ऐसे ख्यातिप्राप्त, महान नेताओं और महान सोच वाले लोगों की अनमोल विरासत है, जिन्होंने भारत की आजादी और विकास के लिये अथक परिश्रम और जुनून के साथ काम किया। यही अनमोल विरासत है, जो आज भी हजारों युवाओं को राजनीति में आने के लिए प्रेरित करती है। इसको ध्यान में रखते हुए भारतीय युवा कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन के लोकतंत्रीकरण का विचार सबसे पहले मन में आया।

भारत में समाज के हर तबके के लोगों के लिए राजनीति एक खुला मंच होना चाहिए, इस धारणा और विश्वास से प्रेरित होकर आईवाईसी और एनएसयूआई को लोकतांत्रिक बनाने की शुरूआत की गयी। धारणा यह थी कि ये भारत के भविष्य के नेता हैं और इसलिए व्यवस्था को उनकी प्रतिभा को बढ़ावा देना चाहिए तथा उन्हें बेहतरीन नेता के तौर पर विकसित होने में मदद देनी चाहिए। यह लोकतंत्र को जमीनी स्तर पर, खास तौर से छात्र और युवा राजनीति तक ले जाने वाले अभिनव मॉडल के रूप में उभरा। एनएसयूआई का पहला चुनाव 2011 में उत्तराखंड में हुआ था और इसमें काफी हद तक अमेरिका की प्राईमरी चुनाव शैली का अनुसरण किया गया। नामांकन दाखिल हुए, चुनाव कराये गये, अध्यक्ष चुना गया और इस प्रकार भारत में छात्र राजनीति के भविष्य की शुरुआत हुई।

आज एनएसयूआई देश का एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है, जिसमें अध्यक्ष और उपाध्यक्ष जैसे शीर्ष पद पर खुले और निष्पक्ष चुनावों की व्यवस्था है। पूरी प्रणाली बदल दी गई है और ऐसा आम भारतीयों के लिए राजनीति को बेहतर बनाने की जरूरत को देखते हुए किया गया। इस बदलाव से पहले, एनएसयूआई और आईवाईसी में पदाधिकारियों को नियुक्त किया जाता था, जिसकी परिणति भाई-भतीजावाद और वंशवादी राजनीति के बने रहने में होती थी। इस प्रणाली को लोकतांत्रिक बनाने से आम लोगों को भी राजनीतिक दुनिया में शामिल होने का समान अवसर मिला है। यह सभी को समान अवसर उपलब्ध कराता है ताकि सबसे रसूख वाले व्यक्ति की बजाय सबसे योग्य उम्मीदवार को ही सही जगह मिले।

देश में और पार्टी के भीतर, दोनों जगहों पर नयी सोच और नये दृष्टिकोण की जरुरत थी। एक खालीपन था, जिसे भरने की जरूरत थी। हमारा देश अपनी महान धरती के कोने-कोने में, एक से बढ़कर एक बेहतरीन प्रतिभाओं को समेटे हुए है, इन प्रतिभाओं का इस्तेमाल सभी भारतीयों के लाभ के लिए किया जाना चाहिए। राजनीति में भागीदारी का जुनून रखने वाले हजारों युवाओं को अक्सर कोई मौका नहीं मिलता - यही एनएसयूआई और आईवाईसी के लोकतंत्रीकरण के महान कार्य को करने का मूल कारण बना। सभी के लिए दरवाजे खोलना जरूरी था।

दिलचस्प बात यह है कि पिछले कुछ वर्षों की इस परिपाटी से ऐसे नेता सामने आये हैं, जिनमें लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति अनूठा आकर्षण और सम्मान है- छात्र चुनावों और पंचायती राज जैसे छोटे पैमाने और राष्ट्रीय चुनावों जैसे बड़े पैमाने-दोनों ही स्तरों पर। ये नेता लोकतांत्रिक तरीके से सोचने और काम करने के लिए प्रशिक्षित हैं। इन्होंने उस जनता के लिए कड़ी मेहनत से काम करने की इच्छा अपने दिल में संजो रखी है, जिसने उन्हें चुना है; क्योंकि लोकतंत्र में जनता ही सर्वशक्तिमान होती है।

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