Salit Empowerment

दलित अधिकार

जाति व्यवस्था केवल ऐतिहासिक शर्म भर नहीं है, जिसने भारतीयों को बांटा और हमारी सामर्थ्य को बाधित किया, दरअसल हम अभी तक इसकी काली छाया से बाहर निकलने की जद्दोजहद कर रहे हैं। समानता और सामाजिक न्याय का वादा डॉ. बी.आर. अम्बेडकर के संविधान में किया गया था, लेकिन जातिवाद का कायम रहना आज भी कई जिंदगियों को तबाह कर रहा है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के एक दलित पीएचडी स्कॉलर रोहित वेमुला को ऐसी दुनिया के खिलाफ मुंह खोलने के लिए आत्महत्या करने पर मजबूर कर दिया गया, जहां ‘‘इंसान की अहमियत उसकी तात्कालिक पहचान और निकटतम संभावना - एक वोट, एक संख्या, एक वस्तु तक सिमट कर रह गयी है। व्यक्ति को कभी भी उसकी बुद्धिमत्ता से नहीं आंका गया।’’ मैं दुनिया के बारे में केवल रोहित वेमुला के विज़न को उद्धृत कर सकता हूं, जहां इंसानों को वास्तव में ‘‘भावनाओं से बनी गौरवशाली वस्तुओं के रूप में हर क्षेत्र में, अध्ययन में, सड़कों पर, जीवन में और मृत्यु में मूल्यवान माना जा सकेगा।’’

पदक्रम या हायरार्की के संदर्भ में, बराबरी हासिल करने में अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं। कांग्रेस पार्टी ने सबके लिए वयस्क मताधिकार से लेकर हर व्यक्ति का समान महत्व स्थापित करने और सामाजिक भेदभाव का मुकाबला करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। भूमि वितरण, आरक्षण के जरिये शिक्षा और रोजगार तक पहुंच का विस्तार, राजनीति में दलित आवाज़ को बढ़ावा देना और समर्थन करना इसी प्रयास का अंग हैं।

जाति समान अवसरों के रास्ते की रुकावट है और हमें जब भी मौका मिला हमनें दलितों के लिये संभावनाओं को व्यापक बनाने की कोशिश की है। दलितों को आज भी शिक्षा के हर स्तर पर भारी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, अक्सर उनको उद्यमशीलता के लिए आवश्यक मजबूत नेटवर्क की कमी का सामना करना पड़ता है। इसे दूर करने की हमारी कोशिशों का एक उदाहरण यह है कि कांग्रेस सरकार ने ही सरकारी खरीद का एक हिस्सा छोटे और मध्यम दलित व्यवसायों से किया जाना अनिवार्य किया था।

कोई भी व्यक्ति अपना पूर्ण सामर्थ्य तभी हासिल कर सकता है, जब खतरे और भेदभाव से मुक्त हो। कांग्रेस नेतृत्व ने ही जाति आधारित अपराधों से निपटने के लिये अत्याचार निवारण अधिनियम की घोषणा की थी और कांग्रेस सरकार ने ही पंचायतों में और पंचायत प्रमुखों के पद पर एससी/एसटी नागरिकों के लिए सीटें आरक्षित की थीं। इन अधिकारों को हकीकत में बदलना और सामाजिक रूप से दबंग तबके से उनका बचाव करना सतत प्रयास है। दलित महिलाओं को तो विशेष रूप से दोहरी चुनौती का सामना करना पड़ता है। लेकिन यह एक ऐसा संघर्ष है, जिसके लिये मैं, कांग्रेस पार्टी की तरह पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध हूं।

चाहे कोई परिसर हो, कार्यस्थल या सड़क हो, हम दलितों के आत्मसम्मान और शक्ति को दबाने की किसी भी कोशिश के खिलाफ पूरी ताकत से आवाज उठाएंगे।

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