झूठ की पोल खोल

‘‘जब सच चलने की तैयारी कर रहा होता है, तब तक झूठ आधी दुनिया नाप चुका होता है’’ - मार्क

यहां राहुल गांधी के खिलाफ दुष्प्रचार तंत्र द्वारा फैलाई जा रही बेतुकी कहानियों और अफवाहों की हकीकत पेश है। इन पर एक नज़र डालें

उस वायरल वीडियो के बारे में क्या स्पष्टीकरण है, जिसमें राहुल गांधी ‘‘ आलू की फैक्ट्री’’ के बारे में बोल रहे हैं?

संदर्भ में सब कुछ स्पष्ट है। यह वीडियो उत्तर प्रदेश में निराश किसानों के साथ हो रही बातचीत का एक अंश है। बातचीत के दौरान एक किसान ने क्षेत्र में आलू के चिप्स की फैक्ट्री लगाने का सुझाव दिया, जिसका श्री गांधी ने उत्तर दिया। पूरी बातचीत यहां प्रस्तुत है (प्रश्न पर टिप्पणी 1.22 में)। जाहिर है कि किसानों की दुर्दशा और उनकी चिंताओं से ध्यान भटकाने के लिये ही चुने गये वाक्यांश के सहारे केवल मखौल उड़ाने की कोशिश की गयी और संदर्भ को तोड़-मरोड़ कर इस्तेमाल किया गया।

ठहरिए, आलू के बारे में एक अन्य प्रश्न है। उन्होंने एक ऐसी मशीन का उल्लेख क्यों किया, जो आलू को सोने में बदल देगी (आलू से सोना निकलेगा)?

यह सचमुच हास्यास्पद है। सच ये है कि यह दावा राहुल गांधी ने कभी किया ही नहीं। दरअसल वे प्रधानमंत्री द्वारा किए जा रहे हैरतंगेज वादों को दोहरा रहे थे। उनके भाषण का एक अंश,भाजपा की दुष्प्रचार टीम द्वारा अपने हिसाब से गढ़कर पेश किया गया। जो लोग सच्चाई जानना चाहते हैं, उनके लिए पूरा वीडियो यहां प्रस्तुत किया गया है।

उन्होंने यह दावा क्यों किया कि एमआरआई मशीनों को जोड़ने से भारत की स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार होगा?

स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े एक प्रश्न पर, श्री गांधी ने जो विचार प्रस्तुत किए, उनमें से एक ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्स’ से संबंधित था। एमआरआई मशीनों, सीटी स्कैनर्स और अन्य उपकरणों को क्लाउड के जरिए जोड़ना और उनके निष्कर्षों का विश्लेषण करना निदान और देखरेख का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। आंकड़ों पर संचालित यह दृष्टिकोण स्वास्थ्य सेवा का भविष्य है और यह दुनिया के अनेक भागों में पहले से ही प्रचलन में है। इसलिए, राहुल गांधी ऐसे ग्लोबल ट्रेंड की बात कर रहे थे, जिससे उनके आलोचक शायद आज भी अनजान हैं।

जो लोग इस बारे में विस्तार से जानने के इच्छुक हैं, वे Economist  का यह लेख पढ़ सकते हैं।

एस्केप वैलोसिटी ऑफ ज्यूपिटर की बात से उनका क्या आशय था?

राहुल गांधी उस अतिरिक्त प्रयास की बात कर रहे थे, जो अन्य लोगों के बराबर पहुंचने के लिए दलितों को करने की जरूरत है। सामाजिक रूप से वंचित समुदाय होने के नाते, उन्हें वातावरण में नीचे धकेलने की प्रवृत्ति से मुक्त होने के लिए काफी ज्यादा कोशिश करनी होगी। बिल्कुल वैसे ही, जैसे, बृहस्पति या ज्यूपिटर के गुरुत्वाकर्षण से बचने के लिए पृथ्वी से ज्यादा प्रयास करने की जरूरत पड़ती है।

एस्केप वेलोसिटी, सोशल रिसर्च में अक्सर इस्तेमाल में लाया जाने वाला शब्द है - उदाहरण के लिये Harvard Research देखिए।

उन्होंने क्यों कहा, ‘‘गरीबी एक मानसिक अवस्था है?’’

राहुल गांधी ने कहा कि भौतिक अभावों के साथ-साथ, गरीबी एक मानसिक अवस्था भी है। अभाव और पूर्वानुमान न होने से उत्पन्न मानसिक प्रभावों और असुरक्षाओं पर किये गये सामाजिक सुरक्षा शोध से यह निष्कर्ष सामने आया है।

मीडिया की सुर्खियों में उनके शब्दों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया कि गरीबी केवल एक मानसिक अवस्था है। जैसा सामान्य तौर पर होता है, भाजपा ने इस बात पर खूब हल्ला-गुल्ला मचाया। इसके बाद गोबिंद बल्लभ पंत सोशल साइंस इंस्टीट्यूट के दलित रिसोर्स सेंटर ने तथ्यों को स्पष्ट किया, जहां राहुल गांधी ने यह बयान दिया था। फिर अगले दिन ज्यादातर समाचार पत्रों ने भूल-सुधार प्रकाशित किया, लेकिन भाजपा का अफवाह तंत्र अपना काम कर चुका था। आप भी इसे पढ़िए Hindustan TimesIndian Express

‘‘ बीती रात, आज सुबह उठा’’ वायरल क्यों हुआ?

क्योंकि गलती इंसान से होती है और भाजपा मखौल उड़ाती है। मेरी जबान फिसल गई थी। ऐसा सभी के साथ होता है, खासतौर पर उनके साथ, जिनके अल्फाजों पर हमेशा नजर रखी जाती है।

इस फेहरिस्त के और भी लम्बा होने की संभावना है। झूठ गढ़ना लगातार जारी रहेगा, क्योंकि, उसकी हद केवल भाजपा की कल्पना में है। इनमें से कुछ आरोप हालांकि अन्य आरोपों की तुलना में काफी गंभीर और निर्लज्ज हैं:

सुकन्या रेप केस की हकीकत क्या है?

यह आरोप राजनीतिक विरोधियों द्वारा गढ़ा गया और इसे विदेशी वेबसाइट्स पर फैलाया गया। जबकि भारत के उच्चतम न्यायालय द्वारा इसे यह कहकर खारिज कर दिया गया ‘‘यह बेतुका है और इसमें लेशमात्र भी प्रमाण नहीं है।’’ इतना ही नहीं, न्यायालय ने राहुल गांधी की छवि को नुकसान पहुंचाने के कारण याचिकाकर्ताओं पर भारी जुर्माना भी लगाया। जुर्माने की आधी राशि राहुल गांधी और शेष आधी राशि उस महिला के लिये थी, जिसके साथ रेप होने का दावा उन लोगों ने किया था।

पढ़िए: NDTVMint

इस तरह के दुर्भावनापूर्ण झूठ दक्षिण-पंथी पार्टी के ईको-चैम्बर में चलते रहते हैं, जो दर्शाते हैं कि कुछ लोग सत्य से बेअसर रहते हैं और उचित कानूनी प्रक्रिया के प्रति अवमानना का दृष्टिकोण रखते हैं। वे जिसे नापसंद करते हैं, उसे बदनाम करने के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं।

क्या राहुल गांधी बोस्टन में ड्रग्स के साथ पकड़े गये थे?

नहीं। जो लोग, बिना कोई सबूत दिए, इस तरह की काल्पनिक और निराधार अफवाहें फैला रहे हैं, वे सचमुच कोई जबरदस्त नशा कर रहे हैं।

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